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भारत की राजनीती व सत्ता घोर अवसरवादी तथा यथास्थितिवादी हो चुकी है !रास्त्र धर्म निभाने को कोई तैयार नहीं, सभी एक दूसरे को राष्ट्रधर्म निर्वहन का उपदेश भर देते हैं ! संविधान इश्वर तथा सत्यनिष्ठा की शपथ लेने वाला पूरा राष्ट्र जन की उपेक्षा पर उतारू हो परिवार की पूंजी बढ़ने में जुटा है ! बड़े नेताओं, अफसरों, पूंजीपतिओं तथा भ्रष्ट तत्वों के पालतू कुत्तों जानवरों का प्रतिदिन खर्च हजारों रूपया है भारत सरकार का योजना आयोग 32 और 26 रुपया प्रतिदिन आय अर्जित करने वालों को गरीब नहीं मान रहा है ! राजनीति तथा सत्ता तंत्र में बैठे लोग सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं यह सब निर्धन को मिलने वाली सुविधावों पर डाका डालने कि कुटिल चाल है यदि योजना आयोग के दावे सत्य से भरे हैं तो उसे देश के सांसदों, विधायकों, मंत्रिओं, प्रशासनिक, विदेश, तथा पुलिस सेवा सहित सभी सरकारी कर्मचारिओं के वेतन में 80% कटौती की सिफारिश कर देनी चाहिए ! लोकतंत्र संविधान की आंड में सत्ता लुटेरों की बांदी बन गयी है विकेंद्रीकरण के नाम पर गाँव – मोहल्लों को छुटभय्ये, जातिवादी, माफिया लूट – पाट कर राज्य व केन्द्र को मजबूत कर रहे हैं ! गाँधी का ग्राम स्वराज, लोहिया की सप्त क्रांति, जे०पी० की सम्पूर्ण क्रांति को चमचमाती गाड़ियों में सवार छिन्न – भिन्न कर समता – ममता के संस्कार से ओत – प्रोत हमारे संस्कार नष्ट कर भारत को नादिर शाह की तरह दोनों हांथों से लूट रहे हैं !
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